PM इमरान खान की मुश्किलें बढ़ीं, अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को बुलाई गई नेशनल एसेंबली की बैठक
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PM इमरान खान की मुश्किलें बढ़ीं, अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को बुलाई गई नेशनल एसेंबली की बैठक

PM इमरान खान की मुश्किलें बढ़ीं

PM इमरान खान की मुश्किलें बढ़ीं, अविश्वास प्रस्ताव पर 25 मार्च को बुलाई गई नेशनल एसेंबली की बैठक

इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान सरकार को 25 मार्च को विपक्ष के लाए अविश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक सफर का ये एक बड़ा दिन साबित हो सकता है। विपक्ष के ज‍िस तरह से तेवर है उसको देखते हुए वो अपनी जीत को लेकर काफी कुछ आश्‍वस्‍त भी दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि विपक्ष केवल पीएम के खिलाफ ही ये अविश्‍वास प्रस्‍ताव लेकर नहीं आया है, बल्कि नेशनल असेंबली के स्‍पीकर असद कैसर के खिलाफ भी ऐसा ही प्रस्‍ताव है। इन दोनों के ही भविष्‍य पर फैसला एक साथ होने वाला है। 

विपक्ष ने आठ मार्च को सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने के लिए इजाजत मांगी थी। इसके बाद नेशनल असेंबली के स्‍पीकर ने संविधान के अनुच्‍छेद 54 (3) और अनुच्‍छेद 254 के तहत ऐसा करने की इजाजत दी है। विपक्ष की मांग पर एनए सत्र बुलाने की 14 दिन की संवैधानिक समय सीमा 21 मार्च को समाप्त हो जाएगी। द नेशन के मुताबिक, पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 54 (3) के अनुसार, इस तरह के प्रस्‍ताव के लिए नेशनल असेंबली के एक-चौथाई सदस्‍यों की हामी जरूरी है। यदि स्‍पीकर को ऐसा लगता है तो वो नेशनल असेंबली को बुला सकता है। 

पाकिस्‍तान की मीडिया के मुताबिक, देश के संविधान में दर्ज अनुच्छेद 254 ये भी कहता है कि यदि तय समय के अंदर इसको नहीं ब‍ुलाया जाता है तो भी ये केवल इस वजह से आगे नहीं बुलाया जा सकता है कि इसका वक्‍त निकल चुका है। विपक्ष लगातार इस मामले में नेशनल असेंबली के स्‍पीकर द्वारा की जा रही देरी पर नाराजगी जता रहा है। विपक्ष का कहना है कि नेशनल असेंबली के स्‍पीकर पक्षपात कर रहे हैं। जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता शाहिद खकान अब्बासी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार है। उन्‍होंने असद कैसर की ये कहते हुए आलोचना की है कि उनका रवैया शुरुआत से ही पक्षपात का रहा है।